तुम भी परेशां हम भी परेशान दिल्ली में
हम दो ही तो दुखी है इन्सान दिल्ली में
किसी भूके को यहाँ कोई रोटी नहीं देता
दिल छोटे और बड़े है मकान दिल्ली में
रिश्ता बनता नहीं की टूट जाता है पहले
इश्क हो या दोस्ती कुछ नहीं आसान दिल्ली में
आते आते आया ख्याल ये भी तोबा की
मौत है महँगी सस्ती है जान दिल्ली में
यु तो हादसे हर रात होते है बेदिल मगर
बचते नहीं सुबह उनके निशान दिल्ली में
--दीपक बेदिल
Kya khoob likhaa hai Deepak !!!
ReplyDeleteLajavaab !!