Thursday, November 5, 2009

तुम भी परेशां हम भी परेशान दिल्ली में

तुम भी परेशां हम भी परेशान दिल्ली में
हम दो ही तो दुखी है इन्सान दिल्ली में

किसी भूके को यहाँ कोई रोटी नहीं देता
दिल छोटे और बड़े है मकान दिल्ली में

रिश्ता बनता नहीं की टूट जाता है पहले
इश्क हो या दोस्ती कुछ नहीं आसान दिल्ली में

आते आते आया ख्याल ये भी तोबा की
मौत है महँगी सस्ती है जान दिल्ली में

यु तो हादसे हर रात होते है बेदिल मगर
बचते नहीं सुबह उनके निशान दिल्ली में

--दीपक बेदिल

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