ठहरी-ठहरी सी तबीयत में रवानी आई,
आज फिर याद मुहब्बत की कहानी आई।
आज फिर नींद को आंखों से बिछड़ते देखा,
आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई।
मुद्दतों बाद पशेमां हुआ दरिया हमसे,
मुद्दतों बाद हमें प्यास छुपानी आई।
मुद्दतों बाद चला उनपे हमारा जादू
मुद्दतों बाद हमें बात बनानी आई।
--अज्ञात
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