Tuesday, June 30, 2009

बरसो बाद मिले जो चंद लफ़्ज़ गुफ़्तगू को ना निकले,

बरसो बाद मिले जो चंद लफ़्ज़ गुफ़्तगू को ना निकले,
वो यार जो पहलू में कभी घन्टों बिताते थे,

--आलोक मेहता

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