Thursday, June 18, 2009

अपनी तो दास्तान-ए-इश्क़ का ये पहलू रहा फराज़

अपनी तो दास्तान-ए-इश्क़ का ये पहलू रहा फराज़
नज़रें मिली थी जिस से मुकद्दर न मिल सका
--अहमद फराज़

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