Sunday, June 21, 2009

मेरी इन गज़लों को उठा कर संभाल कर फेकना

मेरी इन गज़लों को उठा कर संभाल कर फेकना
महफ़िल-ए-यार में ना दिल उछाल कर फेकना

इश्क-ओ- आबरू-ओ- शर्म-ओ- हया गजब है
नफरत को ए साहब दिल से निकाल कर फेकना

हस्ती जब तलक इस मैदान-ए-गुलसिता में मेरी
रहगी फ़ितरत यारो इश्क को बेहाल कर फेकना

ये हुआ की जाट साहब सिर्फ चंद बाते कह पाए
की यारो को मोहब्बत में माला-माल कर फेकना

"बेदिल" के कारनामे दिल्ली में मशहूर हो चले है
मुझे दिल से फेकना दोस्त मगर ख्याल कर फेकना

--दीपक 'बेदिल'

1 comment:

  1. PYAAR KARNE BALE PYAAR KARNE SE PAHLE PYAAR KA ANZAAM DEKHLE
    AGAR NA DEKHA HO TO FILM TERE NAAM DEKHALE

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