Saturday, June 6, 2009

तुम पूछो और मैं ना बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं

तुम पूछो और मैं ना बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं
एक ज़रा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं

किस को ख़बर थी सँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैं
सावन आया लेकिन अपनी क़िस्मत में बरसात नहीं

माना जीवन में औरत एक बार मोहब्बत करती है
लेकिन मुझको ये तो बता दे क्या तू औरत ज़ात नहीं

ख़त्म हुआ मेरा अफ़साना अब ये आँसू पोँछ भी लो
जिस में कोई तारा चमके आज की रात वो रात नहीं

मेरे ग़म-गीं होने पर अहबाब हैं यों हैरान क़तील
जैसे मैं पत्थर हूँ मेरे सीने में जज़्बात नहीं

--क़तील शिफाई


Source : http://www.urdupoetry.com/qateel18.html

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