Wednesday, June 24, 2009

किसी और का ज़िक्र उसे गवारा नहीं आलोक

किसी और का ज़िक्र उसे गवारा नहीं आलोक
जब मिलती है, खुद में दुनिया समेट लेती है

--आलोक मेहता

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