Wednesday, March 11, 2009

ye jo hai hukm ki mere paas na aaye koii

ये जो है हुक्म कि मेरे पास न आये कोई
इस लिये रुठ रहे हैं के मनाये कोई

ताक में है निगाह-ए-शोख खुदा करे
सामने से मेरे बचता हुआ जाए कोई

हर अल्फाक-ओ-ज़मीं को बताया भी तो क्या
बात वो है जो तेरे दिल की बताये कोई

अपने दाग को मुंह भी न लगाया अफसोस
उस को रखता था कलेजे से लगाये कोई

हो चुका ऐश का जलसा तो मुझे खत भेजा
आप की तरह से मेहमां बुलाये कोई

-- दाग देहलवी

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