ये जो है हुक्म कि मेरे पास न आये कोई
इस लिये रुठ रहे हैं के मनाये कोई
ताक में है निगाह-ए-शोख खुदा करे
सामने से मेरे बचता हुआ जाए कोई
हर अल्फाक-ओ-ज़मीं को बताया भी तो क्या
बात वो है जो तेरे दिल की बताये कोई
अपने दाग को मुंह भी न लगाया अफसोस
उस को रखता था कलेजे से लगाये कोई
हो चुका ऐश का जलसा तो मुझे खत भेजा
आप की तरह से मेहमां बुलाये कोई
-- दाग देहलवी
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