कितना प्यार दिया है उसे पर मिला कुछ भी नहीं
इतनी गहरी चाहत का हासिल-ओ-हुसूल कुछ भी नहीं
वो हम से खफ़ा थे तो जान निकल गई थी हमारी
हम उनसे खफा हैं तो उनको मलाल कुछ भी नहीं
इस कदर दुख दिये हैं न जाने किस ख़ता पर
पर हम भी सब्र कर गये और किया सवाल कुछ भी नहीं
उसकी खुशी में हसने वाले खास हैं उसके लिये
दुख में उसके साथ, हमारी मिसाल कुछ भी नहीं
--अज्ञात
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