नहीं अच्छा कोई इशारा साफ़ कह दो ना
कहाँ तक साथ दोगे हमारा साफ कह दो ना
जुदाई की तरह दरिया भी अपने साथ चलता है
नहीं मिलता किनारे से किनारा साफ कह दो ना
बहाने अपनी मजबूरी के क्यूँ आ कर सुनाते हो
कसूर इस में नहीं कोई तुम्हारा साफ कह दो ना
हमें तन्हाई के ताने तुम मत दो गैर के सामने
के हम भी ढूँढ लें कोई सहारा साफ कह दो ना
हमारे हाथ की अक्सर लकीरें मिलती जुलती हैं
मगर मिलता नही अपना सितारा साफ कह दो ना
--अज्ञात
bhai ji ek hi chij kyi kyi baar hai ,,ye aap ko thik lag raha hai
ReplyDeletebhai, mujhe to kuchh bhii repeated nahi laga...
ReplyDeleteaap batao, aapko kya sahi nahin laga isme.