Wednesday, March 11, 2009

nahin achha koi ishaara saaf keh do na

नहीं अच्छा कोई इशारा साफ़ कह दो ना
कहाँ तक साथ दोगे हमारा साफ कह दो ना

जुदाई की तरह दरिया भी अपने साथ चलता है
नहीं मिलता किनारे से किनारा साफ कह दो ना

बहाने अपनी मजबूरी के क्यूँ आ कर सुनाते हो
कसूर इस में नहीं कोई तुम्हारा साफ कह दो ना

हमें तन्हाई के ताने तुम मत दो गैर के सामने
के हम भी ढूँढ लें कोई सहारा साफ कह दो ना

हमारे हाथ की अक्सर लकीरें मिलती जुलती हैं
मगर मिलता नही अपना सितारा साफ कह दो ना

--अज्ञात

2 comments:

  1. bhai ji ek hi chij kyi kyi baar hai ,,ye aap ko thik lag raha hai

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  2. bhai, mujhe to kuchh bhii repeated nahi laga...

    aap batao, aapko kya sahi nahin laga isme.

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