करूँ तो किस के लिए आखिर मलाल उसका
उसे नहीं तो मुझे भी नहीं है खयाल उसका
मेरी वफ़ा ने बनाया है बेवफा उसको
किसी अदा पे नहीं है कमाल उसका
मेरे नसीब की ये भी तो खुशनसीबी है
के मुझ को देख कर सब पूछते हैं हाल उसका
यही दुआ मैं करूँ हर बरस के पहले रोज
के मेरे बगैर न गुज़रे कोई भी साल उसका
मेरे आरुज़ को उसके नसीब में लिख दे
खुदा-ए-पाक मुझे सौंप दे ज़वाल उसका
--अज्ञात
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