Saturday, September 5, 2009

चांद के साथ कईं दर्द पुराने निकले

चांद के साथ कईं दर्द पुराने निकले
कितने ग़म थे जो तेरे ग़म बहाने निकले
--अमजद इस्लाम अमजद


Source : http://www.urdupoetry.com/amjad02.html

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