Saturday, September 19, 2009

कितने गालिब थे जो पैदा हुए और मर भी गए

कितने गालिब थे जो पैदा हुए और मर भी गए..
कदरदान को तखल्लुस की खबर होने तक !!
--दिलावर फिगार


इसी गज़ल का दूसरा शेर

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