Thursday, September 24, 2009

फ़ैज़ रंग भी अशार में आ सकता था

इसी गज़ल का दूसरा शेर

फ़ैज़ रंग भी अशार में आ सकता था
उंगलियाँ साथ तो दें खून में तर होने तक
--दिलावर फिगार

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