कैसे बीती रात न पूछो
बिगड़े क्यों हालात न पूछो
दिल की दिल में ही रहने दो
दिल से दिल की बात न पूछो
ज्ञान ध्यान की सुन लो बातें
जोगी की तुम जात न पूछो
देखा तुमको दिल बौराया
भड़के क्यों जज़बात न पूछो
खेल मुहब्बत का है जारी
किस की होगी मात, न पूछो
प्रेम-नगर में 'श्याम सखा’ जी
क्या पायी सौगात, न पूछो
--श्याम सखा
Source : http://gazalkbahane.blogspot.com/2009/09/blog-post.html
Bahut hi sunder kavita hai
ReplyDeletebest of luck
Hmmm poochh taachh me maza kyu kharaab karna...wo kaha bhi h na kisi ne...agar kuchh munh se kehta hu, maza nazron ka jaataa h...agar khamosh rehta hu,kaleja munh ko aata h...bhai wah!!!
ReplyDeleteनमस्ते दोस्तो
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