Saturday, September 5, 2009

भूल जाता हूँ

ज़रूरी काम है लेकिन रोज़ाना भूल जाता हूँ
मुझे तुम से मोहब्बत है बताना भूल जाता हूँ

तेरी गलियों में फिरना इतना अच्छा लगता है
मैं रास्ता याद रखता हूँ, ठिकाना भूल जाता हूँ

बस इतनी बात पर मैं लोगों को अच्छा नहीं लगता
मैं नेकी कर तो देता हूँ, जताना भूल जाता हूँ

शरारत ले के आखों में वो तेरा देखना तौबा
मैं नज़रों पे जमी नज़रें झुकाना भूल जाता हूँ

मोहब्बत कब हुई कैसे हुई सब याद है मुझको
मैं कर के मोहब्बत को भुलाना भूल जाता हूँ

--अज्ञात

No comments:

Post a Comment