हम इन्तज़ार करेंगे तेरा क़यामत तक
ख़ुदा करे कि क़यामत हो और तू आए
यह इन्तज़ार भी एक इम्तेहान होता है
इसी से इश्क का शोला जवान होता है
यह इन्तज़ार सलामत हो और तू आए
बिछाए शौक़ के सजदे वफ़ा की राहों में
खड़े हैं दीद की हसरत लिए निगाहों में
कुबूल दिल की इबादत हो और तू आए
वो ख़ुशनसीब हो जिसको तू इन्तख़ाब करे
ख़ुदा हमारी मोहब्बत को कामयाब करे
जवाँ सितार-ए-क़िस्मत हो और तू आए
ख़ुदा करे कि क़यामत हो और तू आए
--साहिर लुधियानवी
saahir ji ki rachnaye mujhe bhi pasand hai bahut khoob .
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