Wednesday, March 11, 2009

agar ham se mohabbat thi hamaara maan to rakhte

अगर हम से मोहब्बत थी हमारा मान तो रखते
तुम अपने लौट आने का कोई इमकान तो रखते

सितारे टांग देते आसुओं से तेरे आंचल पर
तेरी रातें हैं रौशन इतना इत्मिनान तो रखते

मिसाल में कमी तो खैर क्या होती मगर फिर भी
मरस्सिम ज़िन्दगी की उल्झनें आसान तो रखते

हमारी याद का महताब तुम से गुफ्तगू करता
कुशादा अपने दिल का कोई रोशनदान तो रखते

तुम्हारी हर शक्सियत की तलाफी नामुमकिन थी
मगर अपने पराये की मगर पहचान तो रखते

तुम्हें मालूम हो जाता के मैं दिल सोखता क्यों हूँ
तुम अपने सामने एक दिन मेरे दीवान तो रखते

--अज्ञात

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