अगर हम से मोहब्बत थी हमारा मान तो रखते
तुम अपने लौट आने का कोई इमकान तो रखते
सितारे टांग देते आसुओं से तेरे आंचल पर
तेरी रातें हैं रौशन इतना इत्मिनान तो रखते
मिसाल में कमी तो खैर क्या होती मगर फिर भी
मरस्सिम ज़िन्दगी की उल्झनें आसान तो रखते
हमारी याद का महताब तुम से गुफ्तगू करता
कुशादा अपने दिल का कोई रोशनदान तो रखते
तुम्हारी हर शक्सियत की तलाफी नामुमकिन थी
मगर अपने पराये की मगर पहचान तो रखते
तुम्हें मालूम हो जाता के मैं दिल सोखता क्यों हूँ
तुम अपने सामने एक दिन मेरे दीवान तो रखते
--अज्ञात
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