हंस के मिलते हैं भले दिल में चुभन रखते हैं
हम से कुछ लोग मोहब्बत का चलन रखते हैं
पाँव थकने का तो मुमकिन है मुदावा लेकिन
लोग पैरों में नहीं मन में थकन रखते हैं
[मुदावा=Cure]
ठीक हो जाओगे कहते हुए मुंह फेर लिया
हाय! क्या खूब वो बीमार का मन रखते हैं
दौर-ए-पस्ती है सबा! वरना तुझे बतलाते;
अपनी परवाज़ में हम कितने गगन रखते हैं
पस्ती=Lowest Point
हम तो हालात के पथराव को सह लेंगे नसीम
बात उनकी है जो शीशे का बदन रखते हैं
--मंगल नसीम
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Monday, August 9, 2010
हम से कुछ लोग मोहब्बत का चलन रखते हैं
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बहुत अच्छी गज़ल. बधाई.
ReplyDelete(कमेंट्स में वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें)
अच्छी रचना पढ़वाई.
ReplyDeleteएक निवेदन:
कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..जितना सरल है इसे हटाना, उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये.
Udan Tashtari ji,
ReplyDeleteWord verification हटाने से spam comments भी आने लगते हैं !!
मन तो मेरा भी है बहुत ये word verification हटाने का
Super se bahut upper..
ReplyDeleteSuper se bahut upper..
ReplyDeleteशुक्रिया !!
Deletebahut hi umda gazal.
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