जज्बातों के बादल अब गरजते नहीं बस. बरस लिया करते हैं
बिखरती ज़िन्दगी को नए हौंसले से हम कस लिया करते हैं
अश्क बहें चुके हैं इतने कि अब पथरा सी गयी हैं आँखें मेरी
तो जब अब टूट के रो नहीं पाते तो खुल के हस लिया करते हैं
--अभिषेक मिश्रा
बिखरती ज़िन्दगी को नए हौंसले से हम कस लिया करते हैं
अश्क बहें चुके हैं इतने कि अब पथरा सी गयी हैं आँखें मेरी
तो जब अब टूट के रो नहीं पाते तो खुल के हस लिया करते हैं
--अभिषेक मिश्रा
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