पानी बदलो.....ज़रा हवा बदलो
ज़िंदगानी की..... ये फ़िज़ा बदलो
कह रही है ये....... दूर से मंज़िल;
काफिले वालो!... रहनुमा बदलो.
तुमको..... जीना है इस जहाँ में..... अगर;
अपने जीने का...... फलसफा बदलो.
आँधियाँ...... तो.... बदलने वाली नहीं;
तुम ही....... बुझता हुआ दिया बदलो
मुस्कुराहट ........मिला के थोड़ी सी
अपने अश्कों का....... ज़ायक़ा बदलो
सारी दुनिया..... बदल गयी कितनी
तुम भी .....राजेश!... अब ज़रा बदलो...
--राजेश रेडी
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Wednesday, August 18, 2010
पानी बदलो.....ज़रा हवा बदलो
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बहुत उम्दा! राजेश रेड्डी जी की रचनाओं की बात ही अलग है.
ReplyDeleteएक निवेदन:
कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..जितना सरल है इसे हटाना, उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये.