Sunday, August 22, 2010

उसकी कुरबत तो मुक़द्दर ही मिले या न मिले फ़राज़

उसकी कुरबत तो मुक़द्दर ही मिले या न मिले फ़राज़
उसकी यादों से भी हो जाती ही तसल्ली दिल को

--अहमद फ़राज़

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