चल के थमती नहीं अश्कों की रवानी असीम
जब भी दोहराता ही तू अपनी कहानी असीम
अब तो ईमान ही नहीं लफ्ज़-इ-वफ़ा पे अपना
ऐसे हालात सुने तेरी जुबानी असीम
जब भी दोहराता ही तू अपनी कहानी असीम
अब तो ईमान ही नहीं लफ्ज़-इ-वफ़ा पे अपना
ऐसे हालात सुने तेरी जुबानी असीम
तू ये कहता था कभी इश्क न करना यारो
हाय क्यों हम ने तेरी बात न मानी असीम
जिसका तू हो गया, ता-ज़िन्दगी उस का ही रहा
इश्क करने में नहीं ही तेरा सानी असीम
किसको इस दौर में फुर्सत ही सुनने बैठे
ले के फिर बैठ गया बात पुरानी असीम
गम-ए-दौरां ही बहुत ही हमें तडपाने को
तू न अब और बढ़ा ये परेशानी असीम
तुझसे अच्छे भी बहुत और सुखनवर हैं यहाँ
जा कहीं और दिखा शोला बयानी असीम
--असीम कौमी
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