जैसे साँस लेते हुए महताब सी लड़की
मेरे निगाह मे बसी है एक ख्वाब सी लड़की
मैं उससे फासला ना करता तो क्या करता
मैं हवओ सा पागल वो चराग़ सी लड़की
उसको सुना नही महसूस किया है मैने
हर सफे पे चुप है वो किताब सी लड़की
दरमिया हमारे हज़ार हिजाब हैं फिर भी
मुझे दिखाई देती है वो नक़ाब सी लड़की
मैं उसके सामने बेज़ुबान सा लगता हूँ
कई सवाल लिए है वो जवाब सी लड़की
--अज्ञात
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