Thursday, April 8, 2010

शाम का सूरज हूँ, पूजता कोई नहीं

शाम का सूरज हूँ, पूजता कोई नहीं
जब सुबह होगी तो मै ही देवता हो जाऊँगा

लोग जब पूछेंगे मुझ से मेरी बर्बादी का हाल
तेरे दर के सामने जाकर खडा हो जाऊँगा

दिल गया दामन गया और होश भी हैं लापता
रफ़्ता-रफ़्ता एक दिन मै भी लापता हो जाऊँगा

इश्क में कायम करेंगे दूरियों के सिलसिले
आज तू मुझ से खफा कल मैं तुझ से खफा हो जाऊँगा

--अज्ञात

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