Saturday, April 17, 2010

जाओ हम ऐतबार करते हैं

हम बुतों से जो प्यार करते हैं
नकले परवरदिगार करते हैं

इतनी कसमें न खाओ घबराकर
जाओ हम ऐतबार करते हैं

अब भी आ जाओ कुछ नहीं बिगड़ा
अब भी हम इन्तजार करते हैं

--अज्ञात

1 comment:

  1. अब भी आ जाओ कुछ नहीं बिगड़ा
    अब भी हम इन्तजार करते हैं



    BAHUT KHUB

    SHEKHAR KUMAWAT

    http://kavyawani.blogspot.com/

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