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हम बुतों से जो प्यार करते हैंनकले परवरदिगार करते हैंइतनी कसमें न खाओ घबराकरजाओ हम ऐतबार करते हैंअब भी आ जाओ कुछ नहीं बिगड़ाअब भी हम इन्तजार करते हैं--अज्ञात
अब भी आ जाओ कुछ नहीं बिगड़ाअब भी हम इन्तजार करते हैंBAHUT KHUB SHEKHAR KUMAWAT http://kavyawani.blogspot.com/
अब भी आ जाओ कुछ नहीं बिगड़ा
ReplyDeleteअब भी हम इन्तजार करते हैं
BAHUT KHUB
SHEKHAR KUMAWAT
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