Sunday, April 18, 2010

मिलना था इत्तफाक, बिछड़ना नसीब था

मिलना था इत्तफाक, बिछड़ना नसीब था
वो फिर उतनी दूर हो गया, जितना करीब था

बस्ती के सारे लोग ही आतिस-परस्त थे
घर जल रहा था, और समंदर करीब था

अंजुम मैं जीत कर भी यही सोचती रही
जो हार कर गया, वो बड़ा खुशनसीब था

--अंजुम रहबर

3 comments:

  1. Dafna diya gaya mujhe chandi ki kabra me,
    jisko mai chahti thi wo ladka gareeb tha.

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    1. Shayar ka naam bhi likho aap
      Parveen Shakir ok

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  2. Ye sher Marhoom Parveen Shakir ka hai

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