Sunday, April 18, 2010

और तो कुछ भी पास निशानी तेरी

और तो कुछ भी पास निशानी तेरी
देखती रहती हूँ तस्वीर पुरानी तेरी

लड़कियां और भी मनसूब तेरे नाम से हैं
क्या कोई मेरी तरह भी है दीवानी तेरी

मैं अगर होंट भी सी लूं तो मेरी खामोशी
सारी दुनिया को सूना देगी कहानी तेरी

मेरे फूलों में महकता है पसीना तेरा
और हाथो में खनकती है जवानी तेरी

राजमहलों में कनीजों का रहा है कब्ज़ा
और जंगल में भटकती रही रानी तेरी

--अंजुम रहबर

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