जब मेरी हक़ीकत जा जा कर उनको सुनाई लोगों ने
कुछ सच भी कहा, कुछ झूठ कहा ,कुछ बात बनाई लोगों ने,
ढाए हैं हमेशा ज़ुल्म - ओ- सितम दुनिया ने मोहब्बत वालों पर
दो दिल को कभी मिलने ना दिया दीवार उठाई लोगों ने,
आँखो से ना आँसू पोंछ सके ,होंठो पे ख़ुसी देखी ना गयी
आबाद जो देखा घर मेरा तो आग लगाई लोगों ने,
तन्हाई का साथी मिल ना सका ,रुसवाई मे शामिल शहर हुआ
पहले तो मेरा दिल तोड़ दिया फिर ईद मनाई लोगों ने,
इस दौर मे जीना मुश्किल है ,ये इश्क़ कोई आसान नही
हर एक कदम पर मरने की अब रस्म चलाई लोगों ने...
--Unknown
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Thursday, April 15, 2010
जब मेरी हक़ीकत जा जा कर उनको सुनाई लोगों ने
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