Thursday, April 29, 2010

तेरी बेरुखी और तेरी मेहरबानी

तेरी बेरुखी और तेरी मेहरबानी
यही मौत है और यही जिंदगानी

वही इक फ़साना वही इक कहानी
जवानी जवानी जवानी जवानी

तेरी बेरुखी और तेरी मेहरबानी
यही मौत है यही जिंदगानी

लबो पर तबस्सुम तो आँखों में पानी
यही है यही दिल जलो की निशानी

बताऊँ है क्या आंसुओं की हकीक़त
जो समझो तो सब कुछ, न समझो तो पानी

--अज्ञात

जगजीत सिंह की आवज में सुनिए

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