Friday, October 30, 2009

सलीक़ा हो अगर भीगी हुई आंखों को पढ़ने का फ़राज़

सलीक़ा हो अगर भीगी हुई आंखों को पढ़ने का फ़राज़
तो बहते हुए आंसू भी अकसर बात करते हैं
--अहमद फराज़

2 comments:

  1. सलीक़ा हो अगर भीगी हुई आंखों को पढ़ने का फ़राज़
    तो बहते हुए आंसू भी अकसर बात करते हैं.nice

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  2. वैसे यह शेर तो लाजवाब है इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन आपकी पारखी नजर की भी दाद देनी पडेगी।
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    स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक
    आइए आज आपको चार्वाक के बारे में बताएं

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