Monday, October 12, 2009

यूं तो फूल से रंगत न गयी, बू न गयी

यूं तो किस फूल से रंगत न गयी, बू न गयी
ए मोहब्बत मेरे पहलू से मगर तू न गयी
--अख्तर शिरानी


इसी गज़ल का दूसरा शेर

No comments:

Post a Comment