Wednesday, October 13, 2010

गिर जायें ज़मीन पर तो संभाले नहीं जाते

गिर जायें ज़मीन पर तो संभाले नहीं जाते
बाज़ार में दुख दर्द उछाले नहीं जाते

आंखों से निकलते हो मगर ध्यान में रहना
तुम ऐसे कभी दिल से निकाले नहीं जाते

मुझसे इन आँखों की हिफाज़त नहीं होती
अब मुझसे तेरे ख़्वाब संभाले नहीं जाते

जाते नहीं हम सेहराओं में अब इश्क़-ए-गिरफ्ता
जब तक दिल-ए-मजनू की दुआ ले नहीं जाते

जंगल के ये पौधे हैं इसे छोड़ दो मोहसिन
ग़म आप जवान होते हैं पाले नहीं जाते

--मोहसिन नकवी

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