Friday, October 26, 2018

आप हमारे कब थे

हमने साथ मे दो पल गुज़ारे कब थे
एक गुमान सा था आप हमारे कब थे

अज्ञात

Friday, October 5, 2018

तजुर्बे के मुताबिक खुद को ढाल लेता हूं

*तजुर्बे के मुताबिक़, खुद को ढाल लेता हूं,,!*
*कोई प्यार जताए तो, जेब संभाल लेता हूं,,,!!*

*नहीं करता थप्पड़ के बाद, दूसरा गाल आगे,,!*
*खंजर खींचे कोई, तो तलवार निकाल लेता हूं,,,!!*

*वक़्त था सांप की, परछाई डरा देती थी,,!*
*अब एक आध मै, आस्तीन में पाल लेता हूं,,!!*

*मुझे फासने की, कहीं साजिश तो नहीं,,!*
*हर मुस्कान ठीक से, जांच पड़ताल लेता हूं,,,!!*

*बहुत जला चुका उंगलियां, मैं पराई आग में,,!*
*अब कोई झगड़े में बुलाए, तो मै टाल देता हूं,,,!!*

*सहेज के रखा था दिल, जब शीशे का था,,!*
*पत्थर का हो चुका अब, मजे से उछाल लेता हूं,,,,!!*