Saturday, December 14, 2019

समझने लगे वो हमें खास यूं ही

बड़ा खुशनुमा है ये एहसास यूं ही
वो आने लगे हैं ज़रा पास यूं ही

ये हर बात पे मशवरा क्यों है गोया
 समझने लगे वो हमें खास यूं ही

यूं गैरों से मिलना न मसला बड़ा है
मगर चुभ रही है ये इक फांस यूं ही

है हिजरत की बातें न जाने ये कैसी
उखड़ने लगी है मेरी सांस यूं ही

समझ लें इशारे वो ख़ुद इस ग़ज़ल में
लगाए हुए है ये दिल आस यूं ही

आशीष प्रकाश

No comments:

Post a Comment