Sunday, November 20, 2011

उसकी आदत है, वो अपनों को भुला देता है

जाने किस चीज़ की वो मुझको सज़ा देता है
मेरी हँसती हुई आँखों को रुला देता है

किसी तरह बात लिखूं दिल की उससे, वो अक्सर
दोस्तों को मेरे खत पढ़ के सुना देता है

सामने रख के निगाहों के वो तस्वीर मेरी
अपने कमरे के चरागों को बुझा देता है

मुद्दतों से तो खबर भी नहीं भेजी उसने
उसकी आदत है, वो अपनों को भुला देता है

--वसी शाह

No comments:

Post a Comment