Sunday, June 5, 2011

हमें भूल जाना क़सम दे रहे हैं

बड़ी बेबसी है जो गम दे रहे हैं
हमें भूल जाना क़सम दे रहे हैं

जो दिल में कभी थी, उसी आरज़ू का
मोहब्बत से हो की उसी गुफ्तगू का
तुम्हे वास्ता हम सनम दे रहे हैं
हमें भूल जाना कसम दे रहे हैं

पलक पे रखेंगे तुम्हे सोचते थे,
कभी गम न देंगे तुम्हे, सोचते थे
मगर देखो आज सितम दे रहे हैं
हमें भूल जाना कसम दे रहे हैं

तुम्हारी नज़र से हँसे हर नज़ारे
क़दम दर क़दम हर खुशी हो तुम्हारे
दुआ जाते जाते, ये हम दे रहे हैं
हमें भूल जाना क़सम दे रहे हैं

हमें बेखुदी ने किया आज गाफिल
नहीं हैं तुम्हारी मोहब्बत के काबिल
इशारा बहकते क़दम दे रहे हैं
हमें भूल जाना क़सम दे रहे हैं

--जिगर शियोपुरी

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