Thursday, August 12, 2010

हर तरफ छा गए पैगाम-ऐ-मोहब्बत बनकर...

हर तरफ छा गए पैगाम-ऐ-मोहब्बत बनकर...
मुझसे अच्छी रही किस्मत मेरे अफ़साने की...
--जिगर मोरादाबादी

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