Thursday, April 8, 2010

दिल की चौखट पे एक दीप जला रखा है

दिल की चौखट पे एक दीप जला रखा है
तेरे लौट आने का इमकान सजा रखा है

साँस तक भी नहीं लेते हैं तुझे सोचते वक़्त
हम ने इस काम को भी कल पे उठा रखा है
रूठ जाते हो तो कुछ और हसीन लगते हो
हम ने यह सोच के ही तुम को खफा रखा है

तुम जिसे रोता हुआ छोड़ गये थे एक दिन
हम ने उस शाम को सीने से लगा रखा है
चैन लेने नही देता यह किसी तौर मुझे
तेरी यादों ने जो तूफान उठा रखा है

जाने वाले ने कहा था क वो लौट आएगा ज़रूर
एक इसी आस पे दरवाज़ा खुला रखा है
तेरे जाने से जो इक धूल उठी थी गम की
हम ने उस धूल को आँखों में बसा रखा है

मुझ को कल शाम से वो बहुत याद आने लगा
दिल ने मुद्दत से जो एक शख्स भुला रखा है
आखिरी बार जो आया था मेरे नाम पैगाम
मैने उसी कागज़ को दिल से लगा रखा है

दिल की चौखट पे एक दीप जला रखा है.

--अज्ञात

Source : http://shayari.wordpress.com/2006/09/17/%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%96%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88/

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