Monday, October 26, 2009

आज अश्कों का तार टूट गया

Source : http://www.urdupoetry.com/saif06.html

आज अश्कों का तार टूट गया
रिश्ता-ए-इन्तज़ार टूट गया

यूँ वो ठुकरा के चल दिये गोया
इक खिलौना था प्यार टूट गया

रोये रह-रह कर हिच_कियाँ लेकर
साज़-ए-ग़म बार बार टूट गया

आप की बेरुख़ी का शिकवा क्या
दिल था नापाइदार टूट गया

देख ली दिल ने बेसबाती-ए-गुल
फिर तिलिस्म-ए-बहार टूट गया

'सैफ़' क्या चार दिन की रन्जिश से
इतनी मुद्दत का प्यार टूट गया

--सैफ़ुद्दीन सैफ़


naapaa_idaar = weak/delicate
[besabaatii-e-gul = mortality/short life span of a flower]
[tilism-e-bahaar = (magic)spell of spring]

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