Saturday, May 9, 2009

साकिया इक नज़र जाम से पहले पहले

साकिया इक नज़र जाम से पहले पहले
हम को जाना है कहीं शाम स पहले पहले

खुश हुआ ऐ दिल के मुहब्बत तो निभा दी तूने
लोग उजड़ जाते हैं अन्जाम से पहले पहले

अब तेरे ज़िक्र पे हम बात बदल देते हैं
कितनी रग़बत थी तेरे नाम से पहले पहले

सामने उम्र पड़ी है शब-ए-तन्हाई की
वो मुझे छोड़ गया शाम से पहले पहले

--अहमद फराज़


रग़बत=Liking, Desire, Interest

Source : http://www.urdupoetry.com/faraz59.html

No comments:

Post a Comment