तू जो नहीं है पास इन दिनों
अज्ञात
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मेरे कुछ ख्वाबों को मुझे जलाना पड़ा, कुछ ख्वाहिशों को भीतर दबाना पड़ा, भरी थी आँखे मगर किसको फ़िकर थी, मैं लड़का था मुझे मुस्कुराना पड़ा --Unknown