कभी जिद में तेरे हो गए
कभी दिल ने तुझे गँवा दिया
इसी कशमकश में रहे सदा
तूने याद रखा या भुला दिया
कभी बेबसी में हंस दिए
कभी हंसी ने हम को रुला दिया
कभी फूल से रही दोस्ती
कभी हाथ काँटों से मिला दिया
कभी एक को अपना न कर सके
कभी खुद को सब का बना दिया
यूं ही दिन गुज़र गए प्यार के
कभी इक ख़्वाब खुद को बना दिया
जो ख्वाब उभरे इन आँखों में
उन्हें आँख में ही सुला दिया
--अज्ञात
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