लोगों ने कुछ ऐसी बात बढ़ाई थी
तर्क-ए-मोहब्बत में भी अब रुसवाई थी
नाम हुआ बदनाम मोहल्ले वालो का
घर को हमने खुद ही आग लगाई थी
जिसके दिल में शौक़ था तुमने पर मरने का
उसने अपनी सूली आप उठाई थी
मंज़र घर के बाहर भी सूने थे
घर के अंदर भी दोहरी तन्हाई थी
"कैस" दुआ तो मांगी थी सहराओं ने
दरिया पर बारिश किसने बरसाई थी
--सईद कैस
No comments:
Post a Comment