Friday, January 18, 2013

रस्म-ए-उल्फत सिखा गया कोई

रस्म-ए-उल्फत सिखा गया कोई
दिल की दुनिया पे छा गया कोई

ता-क़यामत किसी तरह न बुझे
आग ऐसी लगा गया कोई

दिल की दुनिया उजरी सी क्यों है
क्या यहाँ से चला गया कोई

वक्त-ए-रुखसत गले लगा कर "दाग"
हँसते हँसते रुला गया कोई

--दाग देहलवी

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