Wednesday, January 9, 2013

पर मुस्कुराना ठीक नहीं, किसी ग़मज़दा के सामने

मेरे लफ्ज़ फ़ीके पड़ गए, तेरी एक अदा के सामने
मैं तुझको खुदा कह गया , अपने खुदा के सामने ..

तेरी लब पे ये हँसी सनम , हर घड़ी हर लम्हा रहे
पर मुस्कुराना ठीक नहीं, किसी ग़मज़दा के सामने

--अंकित राज

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