उसने अंदाज़-ए-करम, उन पे वो आना दिल का
हाय वो वक़्त, वो बातें, वो ज़माना दिल का
न सुना उसने तवज्जो से फ़साना दिल का
उम्र गुजरी पर दर्द न जाना दिल का
दिल लगी, दिल की लगी बन के मिटा देती है
रोग दुश्मन को भी या रब न लगाना दिल का
वो भी अपने न हुए, दिल भी गया हाथों से
ऐसे आने से तो बेहतर है, न आना दिल का
उनकी महफ़िल में परवीन उनके तबस्सुम की अदा
हम देखते रह गए हाथ से जाना दिल का
--परवीन शकीर
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Monday, January 7, 2013
हाय वो वक़्त, वो बातें, वो ज़माना दिल का
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