Thursday, January 10, 2013

कोई गज़ल सुना कर क्या करना

कोई गज़ल सुना कर क्या करना
यूँ बात बढ़ा कर क्या करना

तुम मेरे थे, तुम मेरे हो
दुनिया को बता कर क्या करना

दिल का रिश्ता निभाओ तुम चाहत से
कोई रस्म निभा कर क्या करना

तुम खफ़ा भी अच्छे लगते हो
तुम्हें मना कर क्या करना

तेरे दर पे आकर बैठे हैं
अब घर भी जाकर क्या करना

दिन याद से अच्छा गुज़रेगा
फिर तुम्हें भुला कर क्या करना

--अज्ञात

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