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इश्क ने यूं कर दिया बेगाना मुझे अपना साया भी बड़ी मुश्किल से पहचाना मुझे आपकी ये बेरुखी किस काम की रह जायेगी आ गया जिस रोज अपने दिल को समझाना मुझे --अज्ञात
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