Saturday, July 24, 2010

मेरी किस्मत में तू नहीं शायद

मेरी किस्मत में तू नहीं शायद
मैं तेरा इंतज़ार करता हूँ
मैं तुझे कल भी प्यार करता था
मैं तुझे अब भी प्यार करता हूँ

आज समझी वो प्यार को शायद
आज मैं तुझसे प्यार करती हूँ
कल मेरा इंतज़ार था तुझको
आज मैं इंतज़ार करती हूँ

मेरी किस्मत में तू नहीं शायद

सोचता हूँ के मेरी आँखों में
क्यों सजाये थे प्यार के सपने


हर गम टपक रहा है मेरा आंसुओं में ढल कर
वो नज़र से छुप कर, मेरी जिंदगी बदल कर


सोचता हूँ के मेरी आँखों में
क्यों सजाये थे प्यार के सपने
तुझसे मांगी थी इक खुशी मैंने
तूने गम भी नहीं दिए अपने

जिंदगी बोझ बन गयी अब तो
अब तो जीता हूँ और न मरता हूँ
मैं तुझे कल भी प्यार करता था
मैं तुझे अब भी प्यार करता हूँ

मेरी किस्मत में तू नहीं शायद

अब न टूटे ये प्यार के रिश्ते


फूलों के साथ काँटों की चुभन भी देखते जाओ
हसी तो देख ली, दिल की जलन भी देखते जाओ


अब न टूटे ये प्यार के रिश्ते
अब ये रिश्ते सँभालने होंगे
मेरी राहों से तुझको कल की तरह
गम के कांटे निकालने होंगे

दिल न जाए खुशी के रस्ते में
गम की परछाईयो से डरती हूँ
कल मेरा इंतज़ार था तुझको
आज मैं इंतज़ार करती हूँ

मेरी किस्मत में तू नहीं शायद...

शायर/लेखक : अमीर कज़लबाश
फिल्म : प्रेम रोग



3 comments:

  1. ये गीत फिल्म प्रेमरोग से है, इसे राजकपूर की फरमाइश पर पाकिस्तान के शायर अमीर क़ुज़ुलबाश् ने लिखा था.

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